ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य ग्रहण दोष (या सूर्य ग्रहण योग) तब बनता है जब किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में सूर्य और राहु या केतु एक ही राशि में होते हैं। यह स्थिति सूर्य की शक्ति को कमजोर कर सकती है और जीवन में कुछ समस्याएं उत्पन्न कर सकती हैं। सूर्य ग्रहण दोष के कारण निम्नलिखित समस्याएं हो सकती हैं:
आत्मविश्वास की कमी:
सूर्य आत्मविश्वास, नेतृत्व और आत्म-सम्मान का कारक है। इस दोष के कारण व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी, निर्णय लेने में कठिनाई या आत्म-सम्मान में कमी देखी जा सकती है।
पिता या पितृ पक्ष से परेशानी:
सूर्य पिता और पितृसत्तात्मक संबंधों का प्रतिनिधित्व करता है। इस दोष के कारण पिता के साथ मतभेद, स्वास्थ्य समस्याएं या पारिवारिक समस्याएं हो सकती हैं।
करियर में बाधाएं:
सूर्य करियर और सामाजिक प्रतिष्ठा से जुड़ा है। इस दोष के कारण नौकरी या व्यवसाय में रुकावटें, प्रमोशन में देरी या उच्च अधिकारियों के साथ तनाव हो सकता है।
स्वास्थ्य समस्याएं:
सूर्य शरीर में हृदय, हड्डियां, आंखें और रीढ़ की हड्डी का प्रतिनिधित्व करता है। इस दोष के कारण आंखों की समस्या, हृदय रोग, या हड्डियों से संबंधित परेशानियां हो सकती हैं।