चांडाल दोष ज्योतिष शास्त्र में एक महत्वपूर्ण दोष माना जाता है, जो कुंडली में गुरु (बृहस्पति) और राहु के संयोग से बनता है। इसे "गुरु-राहु दोष" भी कहा जाता है। यह दोष तब बनता है जब गुरु और राहु एक ही राशि में या एक-दूसरे के नजदीक होते हैं, या फिर गुरु पर राहु की दृष्टि होती है। इस दोष के प्रभाव से कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जो निम्नलिखित हैं:चांडाल दोष से होने वाली समस्याएं:
मानसिक अशांति और भ्रम:
इस दोष के कारण व्यक्ति मानसिक रूप से अस्थिर हो सकता है। निर्णय लेने में कठिनाई, भ्रम, और गलत फैसले लेने की प्रवृत्ति बढ़ सकती है।
आध्यात्मिक और नैतिक पतन:
गुरु धर्म, नैतिकता, और आध्यात्मिकता का कारक है, जबकि राहु भौतिकता और भ्रम को दर्शाता है। इनके संयोग से व्यक्ति धर्म और नैतिकता से भटक सकता है।
शिक्षा और ज्ञान में बाधा:
गुरु शिक्षा और बुद्धि का प्रतीक है। चांडाल दोष के कारण शिक्षा में रुकावट, एकाग्रता की कमी, और ज्ञान प्राप्ति में कठिनाई हो सकती है।
आर्थिक समस्याएं:
इस दोष के प्रभाव से आर्थिक नुकसान, अनावश्यक खर्च, या धन की हानि हो सकती है। व्यक्ति गलत निवेश या जोखिम भरे फैसले ले सकता है।
पारिवारिक और सामाजिक समस्याएं:
परिवार में कलह, रिश्तों में तनाव, और सामाजिक प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचने की संभावना रहती है। व्यक्ति की छवि खराब हो सकती है।
स्वास्थ्य समस्याएं:
चांडाल दोष के कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, विशेष रूप से पेट, यकृत (लिवर), या मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियां हो सकती हैं।
करियर में रुकावटें:
नौकरी या व्यवसाय में असफलता, बार-बार बाधाएं, और मेहनत के अनुरूप फल न मिलना इस दोष का प्रभाव हो सकता है।